________________ .. 136 . स्त्रीचरित्रः बयार शीतल अंगमें भई है पार जीमें न करार घटा डटी है विरहानकी / मारे डारै मदन मरोरे डारै कामदेव चोरे डारै लाज ऋतु आई लेन प्रानकी // 21 // .. हे मित्र ! क्याकरूं उस प्यारीकी मोहनी मूर्ति मेरे ... मनमें समागई. मानों ब्रह्माने मेरे हृदयमें उसको अं. कित कर दिया है. छप्पय / कमल अमल दलवरन नैन चंचल अनि यारे / अमृत रूपवर वचन केशकंचन कुंच कारे॥ चन्द्रछटा समरूप सकल तन सुभग सुहावत / मयावन्तसी नारि हार उर पुष्प विराजत // ग्रीवा कपात शुक नासिकागति गयंदिनी / चालजहैं शीलवन्त सु. न्दर अधिक जंघकरके खंभतहं // 22 // P.AC.GunratnasuriM.S Jun Gun Aaradhak Trust ..