________________ भाषाटीकासहित 135 'सर्वेषामपि वस्तूनां संहतिः कार्यसाधिका। तृणैर्गुणत्वमापन्नैर्बद्ध्यन्तमत्तदान्तनः॥१९॥ अर्थ-दोहा-छोटेहू समुदायसे, सरत बड़ेहू काज॥खरतृणके रसरानते, बँधतमत्तगजराज // 20 // - यद्यपि मैं पढा लिखा सब बातोंको जानता और समझताहूं, तथापि दैव इच्छासे प्रेरित होकर मेरा मन अपनेसे बाहर होगया, इससमय वसन्तऋतुभी मुझको सता रहीहै. कवित। फूले हैं पलाश मोहिं जीवेकीन आश मैं तो भयो हूं निराश चिन्ता लगी जीव जानकी जोर करें कोयल मरोर करें कोकिल अरु शोर करें भौंरा मरोर उठेमानकी॥चलत है *P.P. Ac. Gunratnasuri M. Jun Gun Aaradhak Trust