________________ 104 भाषाटीकासहित. 'चोरी और सीना जोरी, लौटि चोर कुतवाले डांटै / स्त्रियोंके चरित्र अपार हैं / इति // शिवदेई चरित्र 6. एक बनियेकी स्त्रीका नाम शिवदेई था, वह रूप रंगमें बहुत सुन्दर थी और अपने कोठेपर बैठके अपने नैन बाण चलाय बहुतोंको घायल किया करती थी. एक दिन सन्ध्यासमय कोठेपर बैठी थी, इतनेमें एक छैल छबीला पचीस तीस वर्षका पट्टा वहाँ होकर निकला. देखतेही शिवदेईने ऊपरसे एक कंकरी उसके आगे फेंकदी, ज्योंही उसने ऊपरको निगाह उठाई, त्योंही शिवदेईने नैन बाण चलाय छैलको घायल कर दिया. और द्वारपार आनेका इशारा करके झटकोठेपरसे उतरकर दरवाजेपर आगई किंगाड खोल छैलका हाथ पकड घरमें ले आई और उसकेसाथ भोग विलास करने लगी. जब कुछ देर तक आनन्द लूट चुकी, इतनेहीमें शिवदेईका पति आकर पुकारने लगा कि, किंवाड खोलदो. सुनतेही शिव .P.P.AC..Gunratnasuri.M.S. Jun Gun Aaradhak Trust