________________ 98103 स्त्रीचरित्र. नौने बनठनकर अपना श्रृंगार किया, और डोली मंगाया बडी सजधजसे उसमें जाय बैठी. जब डोली सरायमें पहुंची तो उस सौदागरको दूरसेही देखकर पहिचान लिया कि यह तो हमाराही पति है, तब झट भटियारीको पांच रुपये देकर बोली कि तू कुछ मत बोलना. देख कैसा __ अपन चरित्र दिखातीहूं. ऐसे भटियारीको टालकर अप ना शृंगार बिगाड डोलीसे कूदकर सौदागरके पास जाय दो. घूसे जमाये और बोली कि, रे कुकर्मी, तुझको लाज नहीं आती कि मुझे छोडकर रंडीबाजी करता फिरता है. तेरे पीछे विरहसे व्याकुल होकर मैं एक एक दिन वर्षभरके बराबर काटतीहूं और तेरा यह हाल है. अप शहरमें आकरकेभी कुकर्म करना चाहता है, भला हो इस भठियारीका, जिसने तुझे पहिचानकर तेरा समाचार मुझसे जाकर कहा, मैं तुरन्त डोली मंगाय उसपर चढकर यहां दौडी आई, यह मुनतेही सौदागर मारे लाजके कुछ न कह सक, तुरन्त अपनी स्त्री गो- पीके साथ अपने घर अया. यह वही मसल हुई कि, C.Gunratnasuri.M.S. Jun Gun Aaradhak Trust