________________ . स्त्रीचरित्र ईने दीपक बझाय अपने यारको अपने पीछे बिठालिया और अपनी संखीसे कहा कि, जाकर किंवाड खोलदो. भीतर आतेही शिवदेईका पति कहने लगा कि, - प्यारी ! आज क्या बात है ? जो अभीतक दीपक नहीं जलाया और अँधेरेमें बैठीहो. शिवदेई बात बनाकर बोली स्वामी ! क्या कहूं. परोसकी स्त्रियोंके चरित्र देख देखकर मेरा मन घबरा रहा है यही चित्त चाहता है कि, इस मु. .. हल्लेसे निकलकर और कहीं जारहूं. बनियां बोला कुशल तो है. तब वह बोली अभी एक स्त्री अपने यारको संग लिये भोगविलास कर रहीथी, इतनेमें उस स्त्रीका पति आपुकारा, तब उस छत्तीसी स्त्रीने झटपट दीपक बुझाय अपने यारको पीछे बिठा लिया और अपनी सखीसे कहा जाकर किंवाड खोलदो. जब उसका पति भीतर आया तब जैसे मैं तुम्हारे शिर परसे दुपट्टा डाल “तुम्हारा शिर दवातीहूँ, ऐसेही उसने छलकर अपने यारको __बाहर निकाल दिया, शिवदेईकी यह बात सुनतेही वह छैल समझ गया. और झटपट घरसे निकलगया, तब PP.Ac. Sunratnasuri M.S.... Jun Gun Aaradhak.Trust' ... ...