________________ श्रीपाल चरित्र. // स्कार कर वह नर शान्तिसे योग्य स्थान पर बैठ गया, श्रीपालजीकी रीति-नीति देखकर वह प्रस्ताव तीसरा. | विचारने लगा यह कोई महापुरुष है? इनके पास संगित-नृत्यादि सब राज-रीति मालुम होती || // 39 // है, अतः अवश्य कोश राजपुत्र होना चाहिये-नाच पूरा होनेपर परस्पर इस प्रकार बातचित / होने लगी: श्रीपालजीने पूछा अहो! तुम कौन हो-कहांसे आये हो-तुमारा नाम क्या है ? क्या तुमने को अजीब आश्चर्य देखा है ? उसने निवेदन किया-हे महापुरुष ! यहां पर रत्नद्वीपमें वलयाकारे नानाविध शिखरोंसे शोभित शैलमण्डित रत्नसंचया नामकी एक सुन्दर नगरी है वहांपर कनककेतु नामका विद्याधर राजा राज्य करता है, कनकमाला नामकी उसके एक रानी है तथा है। 1 कनकप्रभ 2 कनकशेखर 3 कनकध्वज 4 कनकरुचि, इस तरह चार पुत्र हैं, उनके उपर || मदनमंजूषा नामकी एक तत्वज्ञा, सुशीला, सुन्दर पुत्री है, उस नगरीमें जिनदेव नामका एक || CARSAARAARA // 39 // AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhal