________________ प्रस्ताव श्रीपाल-8 कि गुरुमहाराजकी प्रदान की हुई मेरे पास एक विद्या है, मगर उत्तरसाधकके विना सिद्ध नहीं | परित्र. होती, यह सुन कुमारने तुरन्त ही उत्तरसाधक बनना कबूल कीया, इस वख्त इनके समक्ष 8|| दूसरा. 5 पुनः साधन करनेसे तत्काल सिह हो गई, तब विद्याधरने कुमारको दो औषधियें दी-एक जल-16 | तारणी ( जिसके प्रभावसे जलमें न डूब सके ) दूसरी शस्त्रनिवारणी (जिसके प्रभावसे शस्त्रका | 6 घाव शरीरमें न लग सके ) और यह सूचना किया कि इन जड़ियोंको धातुत्रयमें ( सोना-चा-18 शान्दी-ताम्बेमें ) जड़वाकर दोनो जुजाओंपर बांध लेना, कुमारने दोनो जटिकाओं लेकर अपने 2 पास रखलीं-यहांसे विदेश गमनके लाभका शुभ मङ्गलाचरण हुवा. P कुमार विद्याधरके साथ गिरीवरकी तलेटीमें आया, वहांपर सुवर्णसिद्धि करनेवाले पुरु षोंको देखे-उन धातुर्वादियोंने उत्तम पुरुष समझ कर श्रीपालको कहा-हे नरोत्तम! हमने अनेक PM विध परिश्रम किये मगर सुवर्णसिकि नहीं होती, प्रजु जाने क्या कारण हुवा, कुमार बोले भा. // 30 // K Ac.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradha