________________ ईयों! सर्व क्रियाएं फिरसे मेरे रूबुरू करो? कीमिया वालोंने वैसा ही किया कि शीघ्र ही सुवर्ण| सिद्धि सिद्ध हो गई; इस समय वे लोग बड़े प्रसन्न होकर बोले-हे परमोपकारी! यह सब सोना 5/ || तुम ले जाओ, कुमारने बेदरकारी बताई, तब धातुर्वादियोंने गुरुभक्तिके विवश होकर हजारों || |5|| रूपेकी कीमतका एक सुवर्णखण्ड जबरदस्ती उनके पल्ले बांध दिया. / अब कुमार यहांसे क्रमशः सफर करता हुवा भरुवच्छ (भरूच ) नगर में आया, वहां पर हा सुवर्णखण्ड बैंच कर वस्त्र-शस्त्रादि खरीदे और उन दोनो जड़ियोंको धातुत्रयमें मढवाकर दोनो || जुजाओंपर बांधली-देवकुमार के सदृश लीलायुक्त नगरमें अटन करते हुवे श्रीपालकुमार | यहांपर सुखपूर्वक निवास करते हैं. KARANABARASHTRA * हिन्दी भाषाके श्रीपाल चरित्रका दूसरा प्रस्ताव सम्पूर्ण हुवा. * Jun Gun Aaradha ALLPAC.Gunratnasur M.S. .