________________ प्रस्ताव दूसरा. आपा जाय इसके अतुल प्रतापसे मुनिजन मुक्ति पदको प्राप्त होते हैं, आगमोंमें ज्ञानी महात्माओंने 15 अनेक प्रभाव प्रदर्शित किये हैं, मैने तो तुमको मात्र दिग्दर्शन ही कराया है-गुरु महाराजके | इन आप्त वचनो को सुन कर तथा प्रत्यक्ष आश्चर्य देख करके सर्व जन हर्षित हुवे. व्रतके उसही नौमे दिन परोपकारिणी मदनसुन्दरीने उन सातसो कुष्टियोंके शरीरमें भी | स्नात्र जल सींचा; बस तुरन्त ही उनका रोग नाश होकर सुन्दर शरीर बन गये-सारे नगरमें | जैन धर्मकी तथा मुनिश्चन्द्र महाराजकी महति प्रशंसा हुई इस वख्त मदना अपने प्राणेशका सुन्दर खरूप निहाल कर गुरुमहाराजकी स्तुति करने लगी-हे प्रभो! मेरे पतिका पूर्व संचित | कर्म नाश हुवा यह आपहीकी पूर्ण कृपाका फल हैं, आपही इस रोगको हटाने में समर्थ हुवे-हे तरण-तारण! आपने यह उत्तमोत्तम उपाय बताया जिससे मेरे सब मनोरथ पूर्ण हुवे; इस प्रकार स्तुति कर दोनो दम्पति आनन्दित होकर अपने स्थान पर चले गये. RAHASONRY SKSORRISISISIHIASEX LAC.GunratnasuriM.S. Jun Gon Aaradhat