________________ | पसाय प्रथम दिनसे ही उम्बरका रोग शमन होने लगा। इस प्रकार क्रमशः दिन ब दिन विशेष शान्ति होती गई, नौमे दिन दोनो जनोने पंचामृतसे विस्तारपूर्वक पूजन कर भावस्तवना की बाद मयणाने पूर्ण शुद्ध अध्यवसायोंसे स्नात्र जल लेकर सम्पूर्ण शरीरमें विलेपन किया उस | वख्त रहा कहा सर्व रोग नाश होकर उम्बर राणाका शरीर कंचन समान निर्मल हो गया. ___सब लोग इस अनूठे बनावको देखकर चकित हो गये एक वख्त गुरुमहाराजने फरमाया 6 कि भो जव्यात्माओं! इसमें तुम्हें क्या ताजुब हुवा ? इस सिद्धचक्रका तो अवर्णनीय प्रताप है, | सामान्यतासे भी देखो-इसके प्रभावसे ग्रहदोष, भूत-पिशाच-शाकिनी-डाकिनी-याकिनीव्यंतरी-राक्षसी आदिका भय, सप्त भय, भगंदर रोग, वात-पित्त-कफसे उत्पन्न हुवे समग्र रोग विनाशको प्राप्त होते हैं, मृतवत्सा (मरी हुश् सन्तान हो) दोषसे दूषित स्त्रियोंके पुत्र-पुत्री जीवित होते हैं, ग्रहादिकोकी शान्ति होती है, स्त्रीके पति वशवर्ति होता है; कहां तक कहा AT HAQIRILISHIRIPAIG G PAL. Gunratnasuri M.S. . Jun Gun Aaradha