________________ 45 154041454-55136 | होगया, इस वख्त महाराजने नृत्तिकाओंको नाच करनेके लिये बुलाई, तमाम सज-धजकर तैयार हुई मगर एक मूल नृत्तिका आग्रह करने पर भी आना कानी करने लगी, अखोर महा मुश्कीलसे रंग मंडपमें लेआईगई, इस समय मूल नटवी अपने परिवारको देखकर घबराई | और अपना हृदय गत दुःख एक दोहेमें इस प्रकार व्यक्त कियाः . (दोहा) . ... किहां मालव किहां शंखपुर / किहां बब्बर किहां नदृ / / सुरसुन्दरी नचाविये / पडो दैवशिर दट्ट // 1 // इस दोहरे को सुनते ही सौभाग्य सुन्दरीने उठकर अपनी पुत्रीको हृदयसे लगाई और | दोनो रुदन करने लगी, माताने पूछा-हे पुत्रि! क्या हुवा सब हाल कह सुनाओ! इस बनावको देख कर सब लोग आश्चर्यमें लीन होगये, तब सुर सुन्दरी अपना बयान करने लगी-हे मात -तात! यहां से रवाना होकर महदाडम्बरसे शंखपुरीके समीप उद्यान में पहुँचे, शुभ मुहत्तमें, .5* ॐॐॐॐ ॐ Ac Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradh