________________ 1 | वल्लभादि गुणोंसे भूषित थी-स्त्रियोंकी चौसठ कलाओंमें प्रवीणा, कर्मग्रन्थमें विशेष निपुणा, श्री. है वीतराग देवके वचनानुसार कर्म ही कर्ता' माननेवाली थी तथा षट्कर्मोमें सदा सावधान थी. कन्याध्यकी परीक्षा. एक दिनका प्रस्ताव है कि प्रजापाल भूपाल अपनी आभ्यन्तर सभामें बैठा हुवा है, इस|5|| वख्त सुबुद्धि और शिवभूति दोनों पण्डितोंने आकर इस प्रकार निवेदन किया-हे महाराज! 13 || आपकी दोनों कन्याओं पढ लिखकर होशियार हो गई हैं, अतः परीक्षा कीजियेगा. राजाने पाठकोंका सत्कारकर अपने नजीक बैठाये और दोनो पुत्रियोंको क्रमशः आसपास बैठाली, हर्ष वश दोनो कन्याओके सामने बुद्धिकी परिक्षाके लिये भूपेन्द्रने एक समस्या पद् रख्खा"पुण्येन किं किं लभ्यते” अर्थात् पुण्यसे क्या 2 मिलता हैं ? stArtNorra Ac.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradh