________________ प्रस्ताव श्रीपाल- व धर्ममें निपुण हुई तथा द्वितीया सद्गुरुके सदुपदेशसे सम्यग् धर्ममें प्रवीण हुई. इन दोनो ||| चरित्र, पहिला. * कन्याओंका पठन इस प्रकार हुवाः सुरसुन्दरीका पठनः--व्याकरण, तर्क, साहित्य, अलङ्कार, छन्द, ज्योतिष, सागवेद, वेदान्तर, संगीत, नाटक, काव्य, शृङ्गार, कोकशास्त्र, भाषाप्रबंध, गाथाप्रबंध, गंधारादि सप्तस्वर, त. ॥न्त्रीवाथ, तालघन, वंशादि, नृत्य, गांधर्व, वाजिंत्र, मन्त्र, तन्त्र, यन्त्रादि, प्रहेलिका, दोधक, गूढ- | 8 काम शास्त्र वगेरा में निपुण हुई तथा स्त्रियोंकी चौसठ कलाओमें प्रवीण हुई. | मदनसुन्दरीका पठनः--व्याकरण, तर्क अलङ्कार, साहित्य, कोष, हेय-ज्ञेय-उपादेय पदार्थ | विज्ञान, स्वशास्त्र, परशास्त्र, कर्मोंकी मूलोत्तर प्रकृति, बंध-उदय-उदीर्णा-सत्तादि भेदग्रहज्ञान, निश्चयव्यवहार, षद्रव्य, नवतत्व, सप्तनय, सप्तभशी, दस प्रकारके यतिधर्म, ग्यारा प्रतिमा, बारह प्रकारका धर्म, काल-नियति-प्रकृति-भाव-पुरुषाकार, षट्कायविचारसार तथा श्रावक गुणादिमें कुशला, यतीन्द्रिया, सम्यक्त्वगुणविभूषिता, शीलालङ्कारशोभिता, दुर्गतिनिवारका, सकल जन CREAAAAAAA UGGAGARISHISHGASS:97 DIAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhanll