________________ श्रीपाल प्रस्वार RET. चाया. -67-ACTERS- // 7 // है हुवे बहुतर सैन्य-संग्रह करते हुवे क्रमशः खंधार, हल्लार, मरहट्ट, सोरठ, लाट, धाट, मेदपा | टादि देशोंमें संचरते हुवे मालव देशमें प्राप्त हुवे, उज्जयनी नगरीके चोतर्फ अपनी अगण्य है द सेना सहित श्रीपालजीने पड़ाव डाला-इस वख्त मालवेश्वर राजा प्रजापालने दूतके मुखसे / सुना कि परछिपके राजाने आकर अपनी सेनासे नगरी वीट ली है, बस तुरन्तही किल्लेको सज-धजकर तैयार किया, वहां पर तृण, धान्य, काष्ट, जल, वस्त्र, धनादि संग्रह किया, यंत्र | तोप (मसीन-गन) आदि शस्त्रों सज्जित किये, वीर सुभटोंको तैयार किये-श्रेष्ठी, सार्थपति और तमाम प्रजाके लोग आकुल-व्याकुल होकर भयङ्कर भयमें आगिरे हैं; श्रीपालजीकी सेनाने सारी | नगरी इस तरह वींटली जिस तरह सागरने लङ्काको वीट लीधीथी-अब श्रीपाल नरेश रात्रीकी पहली प्रहरमें अपनी मातेश्वरीको मिलनेके लिये गगनमार्गद्वारा मकानके खास दरवज्जे पर जा| पहुँचे, इस वख्त दरवाजा बंद है; अन्दर रहे हुवे सासु बहु इस प्रकार गोष्टी कर रहे हैं: 19 1516 CIAC.Gunratnasun M.S. Jun Gun Aaradhak T