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________________ - तृतीय प्रस्ताव भ OME019OHTOTROYUYAN BEY इस जम्बुद्वीपके पूर्व महाविदेह-क्षेत्रके रमणीय नामक विजयमें सुभगा नामकी एक बड़ी भारी नगरी है। किसी समय वहाँपर गम्भीरता इत्यादि गुणोंसे युक्त और परम प्रतापी स्तिमितसागर नामके राजा राज्य करते थे। उनके शीलरूपी अलङ्कारसे सुशोभित और उत्तम गुणोंवाली दो स्त्रियाँ थीं, जिनके नाम वसुन्धरी और अनुद्धरी थे। वह जो दिव्यचूल नामक अमिततेजका जीव था, वह आयुष्यका क्षय होनेपर प्राणत कल्पसे च्युत होकर रानी घसुन्धरीकी कोखमें पुत्र-रूपसे अवतीर्ण हुआ / उस समय रानीने हस्ती, पद्मसरोवर, चन्द्र और वृषभ-ये चार स्वप्न बलभद्रके जन्मके सूचक देखे, इसके प्रभावसे समय पूरा होनेपर रानीने सोनेकी सी कान्तिवाला पुत्र प्रसव किया। पिताने पुत्र-जन्मके उपलक्षमें बड़ी धूमधाम की और उस पुत्रका नाम अपराजित रखा। इसके बाद मणिचूल नामका जो श्रीविजयका जीव था, वह भी आयुष्य पूरा होनेपर प्राणत कल्पसे च्युत होकर राजाकी दूसरी रानी अनुद्धरीकी कोख में आया। उस समय रानी अनुद्धरीने वासुदेवके जन्मकी सूचना देनेवाले सिंह, सूर्य, पूर्णकुम्भ, समुद्र, श्रीदेवी, रत्न-समूह और निधूम अग्नि-ये सात , . स्वप्न मुखमें प्रवेश करते देखे। प्रात:काल उसने बड़े हर्षसे अपने पतिको / इन स्वप्नॊकी बात बतलायी। इन स्वप्नोंकी बात सुनकर राजाने स्वनशास्त्रके विद्वानोंको बुलवाकर इस स्वप्नका विचार करवाया। . उन लोगोंने कहा, "हे राजन् ! इन सात स्वप्नोंके प्रभावसे आपके पुत्र वासु. देव (त्रिखण्डाधिपति ) होंगे और पहली रानीके पुत्र बलभद्र होंगे।" यह कह, वे स्वप्नशास्त्रके पण्डित राजाका दिया हुआ दान लेकर अपने __ अपने घर चले गये। राजा भी राज्यका पालन करने लगे।.... P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036489
Book TitleShantinath Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavchandrasuri
PublisherKashinath Jain
Publication Year1924
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size355 MB
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