________________ श्रीशान्तिनाथ चरित्र। क्षय होने पर वे दोनों मृत्युको प्राप्त हुए और दसवें प्राणत कल्पमें महर्द्धिक देव हो गये / इनमें अमिततेजका जीव नन्दिकावर्त नामक विमानमें दिव्यवूल नामका देव हुआ और श्रीविजयका जीव स्वस्तिकावर्त नामक विमानमें मणिचूल नामका देव हुआ / वहाँ रहते हुए वे दोनों देव इच्छानुसार दिव्य विषय-सुख भोगते, नन्दीश्वरादिक तीर्थों में यात्रा करते और देव पूजा, स्नात्र आदि धर्मक्रियामें तत्पर रहते हुए, शुभ भावसे अपने समकित-रत्नको अत्यन्त निर्मल बनाने लगे। WAVE सब HEART P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust