SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीशान्तिनाथ चरित्र। .. उसे कुछ दूर पर एक देवमन्दिर दिखाई दिया / वह उसके अन्दर चला गया। देवमन्दिरके भीतर उसे गरुड़-वाहिनी, चकायुध-धारिणी, महिमामयी चक्रेश्वरी देवी दिखलायी पड़ीं। उन्हें देखकर वह दोनों हाथ जोड़ेभक्तिके साथ अपनी विचक्षण वाणीमें इसप्रकार देवीकी स्तुति करने लगा;- हे श्रीऋषभ स्वामीकी शासन देवी! भयङ्कर कष्टोंको हरने वाली! अनेक भक्तोंको समस्त सम्पति प्रदान करनेवाली! तुम्हारी जय हो। माज इस दुःखमें मुझे तुम्हारे दर्शन हुएं / अब तुम्हीं मुझे अपने चरणों में शरण दो।" उसके इन भक्तिपूर्ण वचनोंको सुनकर देवीने प्रसन्न होकर कहा, "हे वत्स ! आगे चलकर तेरा सब प्रकारसे भला ही होगा। अच्छा, तू इस समय मुझसे.कुछ माँग।" यह सुन, धनदने कहा, “हे देवी! तुम्हारे दर्शनोंसे ही मुझे सब कुछ मिल गया। अब मैं क्या मांगे।" उसके ऐसा कहने पर सन्तुष्ट होकर देवीने उसके हाथमें बड़ेही प्रभाव. शाली पांवरत्न दिये और उनका प्रभाव इस प्रकार बतलाया,-"देख, इसमें से एक रत्न तो सौभाग्यका दाता है, दूसरा लक्ष्मी देनेवाला है, तीसरा रोग-हारक है, चौथा विषका प्रभाव नष्ट करनेवाला है और पांचा सब कष्टोंका निवारण करने वाला है। इस प्रकारःउन रत्नोंका प्रभाव पतलाकर, उनकी अलग-अलग पहचान कराकर देवो अन्तर्धान हो गयीं / धनद उन रत्नोंके गुण चित्तमें धारण कर आगे बढ़ा। थोड़ी दूर जाते-न-जाते उसे एक स्थानपर व्रण घाव) अच्छा करनेवाली संरोहिणी नामकी औषधि मिली / उसे भी उसने अपने पास रख लिया / इसके . बाद उसने अपनी जंघा चीरकर उसीमें उन. पांचों रत्नोंको रख दिया और उसी सरोहिणी औषधिके द्वारा उसवणको अच्छा कर लिया। वहाँले आगे बढ़ने पर, उसे एक पातालनगर दिखाई दिया। उसने उस नगरमें प्रवेशकर देखा, कि उसमें खाने-पीनेके सामानोंसे भरे हुए घरों भौर दूकानोंकी श्रेणी तो मौजूद हैं; पर कहीं कोई आदमी नहीं नज़र भाता। आगे चलकर उसने किला, फाटक और खिड़कियोंसे सुशोभित एक बड़ा भारी राजमहल देखा। उसके अन्दर प्रवेशकर जब वह उसके
SR No.036489
Book TitleShantinath Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavchandrasuri
PublisherKashinath Jain
Publication Year1924
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size355 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy