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________________ द्वितीय प्रस्ताव। . सिंहको दिखला दो, जिसमें हम यह रखवालीकी यला सब राजाओंके सिरसे आज ही टाल दें।" __ यह सुन, उन रखवालोंने गिरि-गुहामें पड़े हुए सिंहको उन्हें दिखला दिया। उसे देखकर त्रिपृष्ठ रथपर सवार हो, उस गुफाके द्वारके पास. पहुँचा। रथकी घरघराहट सुनतेही सिंह जग पड़ा और अपने मुखरूपी गुफाको खोले हुए गुफाफे याहर निकल आया। उस समय सिंहको पैदल चलते देख, त्रिपृष्ठ भी रथसे नीचे उतर आया और उसे बेहथियार देख, आप भी अपना हथियार नीचे डाल दिया। कुमारकी यह हरकत देखकर सिंहको बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने अपने मनमें विचार.किया,"ओह ! एक तो आश्चर्यकी बात यही है, कि यह राजपुत्र यहाँ अकेला ही आया है। दूसरी बात अचरजकी यह हुई, कि यह रथसे नीचे उतर पड़ा। तीसरे, यह भी कुछ कम आश्चर्यकी बात नहीं, कि इसने अपने हाथका खङ्ग भी फेंक दिया। अच्छा रहो, मैं इसे अपनी अवज्ञाका अभी मज़ा चखाता हूँ।” ऐसा विचार कर वह सिंह आसमानमें उछला और क्रोधके साथ त्रिपृष्टके मस्तक पर आ पड़ा। इतने में बड़ी फुर्तीके साथ त्रिपृष्ठने अपने दोनों हाथ उस सिंहके मुंहमें डाल, उसके दोनों होंठ दोनों हाथोंसे पकड़ कर, उस सिंहकी देहको पतले वस्त्र की तरह बीचसे फाड़ डाला-उसका शरीर दो टुकड़े होकर भूमिपर गिर गया और यह इसी आनपर क्रोधके मारे काँपने लगा, कि मुझे एक सामान्य मनुष्यने मार डाला / यह देख, राजकुमारके सारथिने कहा,- हे सिंह! यह राजकुमार नरसिंह है और तु पशुसिंह है। इसलिये जब सिंहने ही सिंहको मारा, तब तुम क्यों क्रोध कर रहे हो ?" उसकी यह बात सुन, सिंह प्रसन्न हो गया और मरकर नरकको प्राप्त हुआ। इसके बाद प्रजापतिके उन पुत्रोंने उस सिंहका चमड़ा प्रतिवासुदेवके पास भेजकर विद्याधरकी जुबानी कहला भेजा, कि हे अश्वग्रीव महाराज! अब आप 'हमारी कृपासे बड़ी आनन्दके साथ इस शालिका भोजन कीजिये। अश्वग्रीवने उस चमड़ेको देख और उनकी कहलवायी हुई बात सुन कर P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036489
Book TitleShantinath Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavchandrasuri
PublisherKashinath Jain
Publication Year1924
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size355 MB
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