________________ शान्तिनाथ चरित्र . UnlL 'AACAURV ऐसा विचार कर वह सिंह प्रासमानमें उछला और क्रोधके साथ त्रिपृष्ठके मस्तक पर आ पड़ा। इतने में बड़ी फुर्ती के साथ त्रिपृष्ठने अपने दोनों हाथ उस सिंहके मुँहमें डाल, उसके दोनों होंठ दोनों हाथोंसे पकड़ कर, उस सिंहकी देहको पतले वस्त्र की तरह बीचसे फाडाला | dhak (पृष्ठ 26)