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________________ श्रीशान्तिनाथ-चरित्र। इस प्रकार सब मन्त्रियोंकी कही हुई बातें सुनकर,. राजाने उन्हें हदय में रख लिया और उन्हें विदा कर दिया। इसके बाद, दूसरे ही दिन, राजाने संभिन्नश्रोत नामक एक. श्रेष्ठ ज्योतिषीको बुलाकर, उससे स्वयंप्रभाके वरका स्वरूप पूछा। यह सुन, ज्योतिषीने कहा,-"हे राजन् ! पोतनपुर नामक नगरमें प्रजापति नामका राजा है। उसके त्रिपृष्ठ और अचल नामके दो पुत्र हैं। वे इस भरतक्षेत्रमें वासुदेव और बलदेव होनेवाले हैं और इस अश्वग्रीव नामक प्रतिवासुदेवको मारेंगे। साथही यह बात मैंने साधुके मुंहसे सुनी है और मेरे ज्योतिष शास्त्रसे भी ऐसाही मालूम होता है, कि त्रिपृष्ठ वासुदेव तुम विद्याधरोंका स्वामी भी होनेवाला है। यह स्वयंप्रभा उसीकी पटरानी होगी। ... यह बात सुन, राजा उस ज्योतिषी पर बड़े प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे बड़े मादर सम्मानके साथ विदा किया। ... इसके बाद ज्वलनजटी विद्याधरने मारीच नामका एक दूत पोतमपुर भेजा। उसने वहाँ जा, प्रजापति राजासे कहा,.-"हमारे स्वामी राजा ज्वलनजटी अपनी स्वयंप्रभा नामक पुत्रीका विवाह आपके पुत्र त्रिपृष्ठके सोय करना चाहते हैं। इसीलिये उन्होंने मुझे आपके पास भेजा है। . ..यह सुन, राजा प्रजापतिने कहा,-"यह बात तो मेरे भी मनोनुकूल है। यह कह, राजाने दूतका खूब आदर-सत्कार किया, इसके बाद दूतने अपने राजाके पास पहुंचकर सारा हाल कह सुनाया।. .. इधर प्रतिवासुदेव अश्वग्रीव राजाने पहलेसे ही भाग्यका हाल जान लेनेके लिये अश्वबिन्दु नामके ज्योतिषीको बुलाकर पूछा,– " हे निमि. त्तज्ञ ! यह तो बतलाओ, कि मेरी मृत्यु किस प्रकार होगी?" निमित्ताने कहा,-"राजन् ! जो मनुष्य तुम्हारे चण्डवेग नामक दूतको परास्त कर देगा और तुम्हारे शालि-क्षेत्रका विनाश करनेवाले सिंहको मार गिरायेगा, वही तुम्हारा भी नाश करेगा।" यह सुन, राजाने उसज्योतिषीका आदर-सत्कार कर, उसे जानेकी आज्ञा दी। इसी समय प्रतिषासुदेवने लोगोंके मुँहसे सुमा, कि प्रजापति राजाके P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036489
Book TitleShantinath Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavchandrasuri
PublisherKashinath Jain
Publication Year1924
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size355 MB
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