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________________ . द्वितीय प्रस्ताव। अशी .. कुलं च शीलं च सनाथता च, विद्या च वित्तं च वपुर्वयश्च / वरे गुणाः सप्त विलोकनीयाः, ततः परं भाग्यवशा हि कन्या // . . अर्थात्-कुल, शील, सनाथता,* विद्या, धम, शरीर, वयस ये सात बातें वरमें देख लेनी चाहिये / यही सब देख-सुनकर कन्याका विवाह कर देना चाहिये / इसके बाद तो कन्याका जैसा भाग्य होगा, वैसा होगा। इस प्रकार विचार कर राजाने अपनी कन्यासे कहा,-"बेटी! अब जाकर तू पारणा करले।" यह सुन, राजकुमारी अपने स्थानको चली गयी। इसके बाद राजाने अपने मन्त्रियोंको बुलवाकर अपने मन की बात कह सुनायी / सब सुनकर मन्त्रीगण विचार करने लगे। सोच-विचारकर सबसे पहले सुश्रुत नामके मन्त्रीने कहा,-"हेस्वामी ! रत्नपुर नगरमें मयूरग्रीव राजाका पुत्र अश्वग्रीव नामक विद्याधरेन्द्र राजा है। वह भारतके तीन खण्डोंपर राज्य करता हैं। वही आपकी पुत्रीके योग्य वर है। बहुश्रुत नामक मन्त्रीने कहा, “यह बात मुझे तो अच्छी नहीं लगती ; क्योंकि अश्वग्रीव बूढ़ा है। इसलिये कोई दूसरा ही वर ढूँढना चाहिये, जो कुल, शील और वय इत्यादिमें समान हो।" . तदनन्तर सुमति नामक मन्चीने कहा,-" हे राजन् ! उत्तर श्रेणी में प्रभङ्करा नामकी नगरी है। उसमें मेघरथ नामका राजा है। उसके मेघमालिनी नामकी स्त्री है। उसके विद्युत्प्रभा नामका पुत्र और ज्योतिर्माल्या नामकी पुत्री है। उस विद्यु त्प्रभाको तो अपनी पुत्रीका स्वामी बनाइये और ज्योतिर्माल्या आपके राजकुमार अर्ककीर्तिकी पत्नी होने योग्य है, इसलिये उसको उसके पितासे मांग लीजिये / " ____ इसके बाद श्रुतसागर नामक मन्त्रीने कहा,-"इसी समय राजकुमारीका स्वयंवर करना चाहिये, उस समय जो देश विदेशके राजकुमार आयेंगे, उनमेंसे कोई-न-कोई योग्य वर मिल ही जायेगा।" * यह देखना चाहिये, कि वरके माँ-बाप, भाई-बन्धु आदि हैं या नहीं। ___ यदि हों, तो वह सनाथ कहा जायेगा। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036489
Book TitleShantinath Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavchandrasuri
PublisherKashinath Jain
Publication Year1924
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size355 MB
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