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________________ षष्ट प्रस्ताव। ~ ~ ~ ~ सचित्त * मिश्रआहार, 3 दुष्पक आहार, 4 अपक्क आहार और 5 तुच्छ औषधिका भक्षण-भोजनके विषयमें येही पाँच अतिचार कहे जाते हैं / कर्मके विषय में अङ्गार-कर्म आदि पन्द्रह कर्मादानोंको ही पन्द्रह अतिचार समझना चाहिये / हे चक्रायुध राजा ! तुम्हें इन सब अतिचारोंका त्याग कर देना चाहिये। भोगके विषयमें जितशत्रु राजा तथा उपभोगके विषयमें नित्यमण्डिता ब्राह्मणी का दृष्टान्त है / " भगवान्की यह बात सुन, चक्रायुध राजाने उनसे इन दोनोंकी कथा पूछी। इसपर प्रभुने मधुर वाणीमें कहा, अजितशत्र राजाकी कथा। . . इसी भरतक्षेत्रमें वसन्तपुर नामका नगर है। उसमें जितशत्रु नामके एक राजा रहते थे। उनके मन्त्रीका नाम सुबुद्धि था। राजा उसे बहुत मानते और प्यार करते थे एक बार उलटी शिक्षा पाये हुए दो घोड़ों र राजा और मन्त्री सवार हुए। वे घोड़े उन्हें एक निर्जन वनमें ले गये / वहाँ वे दोनों तीन दिन तक भटकते फिरे। इतनेमें पीछे लौटती हुई उनकी सेनासे उनकी मुलाकात हो गयी। उन्हींके साथ-साथ वे दोनों चौथे दिन भूखे-प्यासेअपने घर आये। क्षुधासे पीड़ित राजाने उसी समय साने रसोइयेको बुलवाकर उससे जघन्य, मद्यम और उत्तम सब तर रसोई तुरत तैयार करवायी। कहा भी है, कि- . . . . प्रय 'त्रिविधमुदितमन्नं शृङ्गघराष्टं सुशीर्ष, .. . जलदलफलपुष्पं पल्लवं पञ्चशाकमै / . जलथलनभमेतन्मांसमेनं त्रिधा हि, . . षटरसजलयुक्तं भोज्यमष्टादशं च // 1 // त--"तीन प्रकारका अन्न,शृंग-घंट, सुशीर्ष, जलसे उत्पन्न, देश -ठीक समझमें नहीं पाते ; पर सम्भवतः इनका अर्थ वनशरीरको रुधिरसे पति को हुए पदार्थोका आहार है। ARE - P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak. Trust
SR No.036489
Book TitleShantinath Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavchandrasuri
PublisherKashinath Jain
Publication Year1924
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size355 MB
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