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________________ चतुर्थ प्रस्ताव / 145 पेड़पर एक तोतेका जोड़ा रहता था। मैं उन्हींका पुत्र हूँ। क्रमसे मेरे मां-बाप बहुत बूढ़े हो गये और अब उनकी आँखोंसे ज़रा भी नहीं दीखता। इसलिये मैं ही उनके लिये आहार ला दिया करता हूँ। एक दिन मैं उस जंगलके एक आमके पेड़पर बैठा हुआ था, कि इतनेमें दो मुनि वहाँ आ पहुंचे। उन्होंने चारों ओर देख, सन्नाटा पाकर आपसमें बातें करनी शुरू की। उनकी बातोंका सार यह था, कि-समुद्रके मध्यमें कपिशेल नामक पर्वतके शिखरपर एक निरन्तर फलनेवाला आम्र-वृक्ष है। उसका एक फल एक बार कोई खाले, तो उसके शरीरकी सारी व्याधियाँ नष्ट हो जायें और उसे अकाल मृत्यु या बुढ़ापेका .डर न रहे। साथही उसे उत्तम सौभाग्य, श्रेष्ठ रूप और देदीप्यमान कान्तिकी भी प्राप्ति हो ।.उन मुनियोंकी यह बातें सुन, मैंने अपने मनमें विचार किया, कि मुनियोंकी बात कदापि झूठी नहीं हो सकती, इसलिये मैं चलकर यदि वह फल ले आऊँ, तो मेरे बापकी गयी जवानी फिर लौट आये और उनकी आँखें भी पहलेकी सी अच्छी हो जाये। हे सार्थेश ! मैं इसी विचारसे इस फलको लेता आया हूँ / अब तो इसे आपही ले लीजिये, मैं दूसरा फल लाकर अपने मां-बापको दूंगा।" तोतेकी यह बात सुन, सेठने बड़े आग्रहसे उस फलको ले लिया। तोता फिर आसमानमें उड़ गया। इसके बाद सेठने अपने मनमें विचार किया,--"मैं यह फल क्यों खाऊँ ? अच्छा हो, यदि मैं इसे किसी राजाको दे डालू, जिससे बहुतसे मनुष्योंका उपकार हो। पर यदि मैं इसे नहीं खाऊँ तो फिर क्या करूँ ?" इसी तरह सोच विचार कर उसने उस आम्र-फलको अपने पास छिपाकर रख लिया। ___ कुछ ही दिनोंमें वह जहाज़ सामने वाले तटपर आ लगा। सेठका ___- बालक जहाज़से नीचे उतरा और भेंट लिये हुए राजाके पास गया। और-और चीजोंके साथ-साथ उसने वह आनं-फलभी राजाको भेंट किया। उसे देख, आश्चर्यके साथ राजाने पूछा,-"सेठजी ! यह फल कैसा हैं।” यह सुन, उसने उस फलका पूरा-पूरा हाल कह सुनाया / सब कुछ P.P. Af Enratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036489
Book TitleShantinath Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavchandrasuri
PublisherKashinath Jain
Publication Year1924
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size355 MB
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