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________________ पाठशालाको 5100 रुपैया,कलकत्ता जैन श्वेताम्बर-मित्र-मण्डल विद्यालयको 3100 रुपैया। पूना भण्डारकर पुस्तकालयको 1000 रुपैया और ओसियां जैन बोर्डिङ्ग-विद्यालयको भी आप यथासमय सहायता दिया करते हैं। इस तरह आप अपने परिश्रमोपार्जित धनका सदा सदुपयोग भी खूब किया करते है। . ____आपने अभी कलकत्तामें दादाजोके मन्दिरमें मार्बल पत्थरकीरमणीय फरश भी बनवाई है जिसमें अन्दाजन डेढ़ हजार रुपैया लगाया है / इसके सिवा ज्ञान-प्रचार के काममें भी आप यथा समय धन व्यय कर पुस्तकें छपवाकर वित्तिर्ण किया करते हैं। प्रायः देखा जाता है, कि लोग धन और वैभव पा कर अभिमानमें मत्त हो जाते हैं, अपने सामने दुसरेको तुच्छ समझते हैं, परन्तु आपमें अभिमान तो नाम मात्रको भी नहीं है। आप बड़े ही विनयी हैं, और धर्मका भाव आपके हृदयमें सोलह आने भरा रहता है। आजतक आपने अनेक धार्मिक कार्यों में बड़े उत्साहसे दान दिया है, और शिक्षा-प्रचारके लियेभी मुक्त हस्तसे दान करते रहते हैं। आपकी इस दान शीलतासे बहुतसे दीन दुःखियोंका उपकार हुआ है। और कितनोंको नीचेसे ऊपर चढ़ाया है, शासन देव आपको दीर्घ जीवी करे और आपके चित्तमें सदैव धर्मकी प्रभावना उत्तरोत्तर बढ़ती रहे, यही हमारी आन्तरीक अभिलाषा है। . श्रीमान्का सम्पूर्ण जीवन-चरित्र बड़ा हो शिक्षाप्रद एवं आ दर्श है। हमारी इच्छा थी कि इस पुस्तक में आपका सारा जीवन. चरित्र प्रकाशित कर दिया जाय; पर हमें आपके संम्पूर्ण जीवन-चरित्र / की यथेष्ट सामग्री न मिली। इसके लिये श्रीमान् से हमने अनेक बार निवेदन किया; पर श्रीमान्ने जीवन चरित्र देना ही नापसन्द .. कर दिया अतएव हम निराश हो गये; किन्तु आरंभ से ही हमने निश्चय कर लिया था कि इस पुस्तक में आपका ही जीवन-चरित्र एवं चित्र देना चाहिये / अतएव हमने पुनः साहस कर श्रीमान् से साग्रह निवेदन P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036489
Book TitleShantinath Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavchandrasuri
PublisherKashinath Jain
Publication Year1924
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size355 MB
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