________________ साहित्य प्रेमी मुनि नरव्यनविजय संयोजित . ma ~ ~ . प्रकरण चौतीसवां / . शुकराज और राजा जितारिः धिरे धिरे काम करे तो कार्य सफल सब होते हैं। सिंचन तरूओं का खूब करे पण ऋतु आए फल देते हैं Ile इस प्रकार राजकुमार के गू गेपन को दूर करने के लिए महाराजा को बहुत से उपाय करते करते छः मास व्यतीत हो गये / राजपुत्र की चिंता के कारण राजा आदि सारा ही परिवार हमेशा चितातुर रहता था। कौमुदी-महोत्सव में राजा का गमनः- .... एक दिन प्रजाजनो ने राज सभा में मगध्वज राजा से नम्र विनती की "हे गजन हम कल कौमुदी महोत्सव मना रहे हैं, कृपा कर आप सपरिवार पधारें।" प्रजाजन के अति आग्रह होने के कारण कौमुदी महोत्सव में आने को राजाने स्वीकार किया। . दूसरे दिन महाराजा अपने परिवार सहित उद्यान में पधारे। उद्यान में घूमते घमते राजा को वही वृक्ष दृष्टि गोचर हुआ. कि * जहां अपना प्यारा पुत्र पूत्र मूर्छित हुआ था. तत्पश्चात् राजा ने अपनी प्रिया से कहा हे प्रिये ! इस दुखदायी वृक्ष से दूर रहना ही ठीक है / इतने में उसी आम के वृक्ष के नीचे देव दुदुभी का शब्द होने लगा / जब गजा ने किसी आदमी से पूछा कि यह क्या है ? तब किसी मनुष्य ने कहा कि “हे राजन्-उस वक्ष के P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust