________________ विक्रम चरित्र है संपदा गुण लोभिनी, उसके ही घर जाती सदा / जो स्पष्ट सज्जन है विवेकी, धैर्य रखता सर्वदा। नगर को सूना देख कर दूसरे मनुष्य उसकी इच्छा करते ही हैं क्योंकि हितदायक अथवा अहितदायक कार्य करते हुए पंडितों को यत्न पूर्वक पहले ही उसके परिणाम का निश्चय कर लेना चाहिए / अन्यथा अत्यन्त वेग में आकर अविचार से किये कार्यों का परिणाम व्याधि के समान हृदय में दाह देने वाला होता है / सहसा कोई काम नहीं करना चाहिए / क्योंकि अविवेक परम आपत्ति का घर है। विचार पूर्वक काम करने वालों को गुण की लोभी संपत्ति स्वयं आ मिलती है। - इस प्रकार जब राजा चिंता कर रहा था उस समय वह शुक कहीं चला गया था / उसी समय नगर की ओर से सेना को आते देख कर राजा अत्यन्त डर गया। सोचने लगा कि निश्चय ही इस वन में रहे हुए मुझ एकाकी को मारने के लिए यह शत्रु सेना आ रही है। अब मैं किस प्रकार अपनी इस प्रिया की रक्षा करू ? क्या किया जाय और क्या न किया जाय ? इस प्रकार के तर्क वितर्क से जब तक राजा शांत हुआ तब तक उसके आगे 'जय-जय' कार की ध्वनि होने लगी। राजा आये हुए अपने इस परिवार को देख मन में आश्चर्य चकित हुआ और उनसे पूछने लगा कि 'इस समय तुम लोग यहां कैसे आये ?" ___ उन लोगों ने उत्तर दिया-"हम लोग भी यह नहीं जानते कौन मनुष्य हमें इस विकट मार्ग से ले आया है।" -PP. Ac Gurethasuri M.S: Jun Gun Aaradhak Trust