________________ 644 विक्रम चरित्र कहा है कि विषयी को दुःख होता है, धनिकों का होता है गर्व, मन खंडित होता वामा से, राजा का प्रिय सदा न सर्व कौन मरण का प्राप्त करता, किस याचक का होता मान, दुर्जन के चंगुल में पड कर, रहा कुशल से किसका प्राण. __ तब गजरूपधारी वन में घूमते हुए राजाने एक मरे हुए तोते का शरीर देखा. उन्होंने तोते के शरीर में प्रवेश किया फिर वन में किसी पुरुष के हाथ पर बैठ कर उसे कहा, 'तुम मुझे शीघ्र ही उज्जयिनी नगरी ले जाओ. वहां राजा के मकान के सामने मुझे बेचने के लिये तुम खडे रहना, और छसो मोहर लेकर पट्टरानी कमलादेवी के हाथ में ही गझे देना.' यह -मनुष्य उस तोते को लेकर वहाँ गया, और छसौ मोहर TA Ravi Hlililil RAHASUNDHIP SHARE (कमलादेवी पट्टर।नी पोपट-शुक खरीद रही है. चित्र नं. 59) P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust