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________________ 630 विक्रम चरित्र उस ब्राह्मणीने अपने पति से कहा, 'अब हम अपनी पुत्री रुक्मिणी को घर लावे, क्यों कि पुत्री को पुत्र हुआ है, अतः उसे कुछ समय के लिये पीहर लाना चाहिये. यदि पिता अपनी पुत्री को घर पर न लावे तो लोग हमेशा पिता पर आक्षेप करते हैं.' अपनी पुत्री को बुलाने के लिये उसने अपने पति को राजा के पास भेजा. वह राजा के पास जाकर स्पष्ट शब्दों में इस प्रकार बोला. 'हे राजन् ! आप मेरी पुत्री को पुत्र सहित मेरे घर भेजे.' परन्तु राजाने उसे भेजना अस्वी कार किया तब, वह ब्राह्मण आत्महत्या करने को तत्पर हुआ. ब्राह्मण को मरने के लिये तत्पर देखकर राजाने पत्नी को भेजा और ब्राह्मण पुत्री को लेकर अपने घर गया. तब वह सौतेली माता छलपूर्वक बोली, 'मैंने पहले किसी से सुना हैं कि, स्त्री प्रथमवार पुत्र या पुत्री जन्म देती है, वह एक बार जीर्ण वस्त्र Se पहन कर कुएँ के पानी - में अपने प्रतिबिंब को (MX IAN ANN A AAAAEERAN Hale पुनः संतान प्राप्तिः होती है.' कह कर कमला उसे जीर्ण बस्त्र रात काम जाते पहना कर कुए के कि (कमलाने रुक्मिणी को कुएमें धक्का दिया.) नारे ले गई. जब चित्र न. 55 रुक्मिणी कुएके जल में देख रही थी तब कमलाने उसे धक्का मारकर कुए में गिरा P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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