________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय सयोजित दिया, उस कुए में गिरती हुई रुक्मिणी को नागराज-तक्षकने पकड लिया. PRAKAS ACREATI भूगर्भ द्वारा तक्षक उसे अपने स्थान पर ले गया, उसे अपनी पत्नी बना लिया, और आनंद से रहने लगा. उस के साथ कुए, तालाब तथा उपवनादि में क्रीडा करते समय बीतने लगा. इधर उस क्रूर ब्राह्मण पत्नीने रुक्मिणी के सुंदर वस्त्राल कार आदि अपनी ( राजा-रानी और कंकण, पृष्ठ 628 में देखा) पुत्री लक्ष्मी को पह. चित्र नं. 56 नाये, और उसने रुक्मिणी के पुत्र को स्तनपान कराने के लिये एक धाव माता रखी, क्यों कि राजाओं की रानिया पुत्र को स्तनपान नहीं कराती हैं. फिर लक्ष्मीको ब्राह्मणीने राजा के महल में भेजा. एक आंखवाली लक्ष्मी को देख कर राजाने मन में विचारा 'यह किस प्रकार हुआ ?' राजा के पूछने पर वह बोली, 'हे स्वामी! मैं विषम स्थान में यकायक गिर गई थी, उस / से मेरी आंख में फूला पड़ गया है.' राजाने सोचा, 'निश्चय ही यह मेरी प्रिया नहीं है, 21 P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust