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________________ पद X SAMA Ran/ w 61440 साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित - -...एकदा वह इस प्रकार गायें चराती हुई वन में करील वृक्ष के नीचे आराम कर रही थी. उधर स्वर्ग में इन्द्र के पुत्र मेघनाद की पत्नी मेधवतीने नारद के आने पर * उनका आदर नहीं किया, अतः नारद उस से नाराज हुए और नारद मन में विचार करने लगे, ( रुक्मिणी और नारद चि. न. 53) : यह स्त्री बहुत गर्व ___ रखती है, अतः बुद्धिपूर्वक इस के गर्व का खंडन करना चाहिये. जो व्यक्ति दुष्ट आचरणवाली और गर्विष्ट होती है, वे अपने ही किये कों से महान् अनर्थ अथवा संकट में पडती है. इतना सोचते हुए नारद पृथ्वी पर आये, और उन्होंने रुक्मिणी को करील के पेड के नीचे बैठी हुई देखा. तब वे पुनः स्वर्ग में गये और इन्द्र के पुत्र मेघनाद से कहने लगे, 'हे मेघनाद ! पृथ्वीतल पर मैंने एक ब्राह्मण की पुत्री को देखा है वह अतीव सुंदर स्वरूपवाली है, उस के समान सुंदर देवलोक में कोई देवांगना भी नहीं होगी, यदि वह तुम्हें पसंद हो तो हम दोनों वहां जाय.' मेघनादने कहा, 'हम दोनों उस कन्या को लेने के लिये वहाँ जाय.' इस प्रकार विचार कर मेघनाद नारद के साथ .. 'पृथ्वीतल पर आया. वहाँ उसने रुक्मिणी से गांधर्व विवाह P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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