________________ . विक्रम चरित्र . fuupNDENT METER UES AGO तब भट्टारी का देवीने कहा, 'तुम इन दोनों के मस्तक उन के ‘धड़ से मिला दो.' यह सुन कर जलदी . में अपने पति और का देवर के मस्तकों को उलटे लगा दिये. (देवी के मन्दिर में...चित्र न. 51) अर्थात् पति के धड़ - ‘पर देवर का मस्तक और देवर के धड़ पर पति का मस्तक जोड दिया, तब देवीने उन दोनों को शीघ्र सजीवन कर दिये. - इस प्रकार वार्ता कह कर महाराजा विक्रमने कहा, ' 'हे अद्रासन! तुम कहो वह पत्नी किस की होगी ?' तब भद्रासनने कहा, 'मैं यह नहीं जानता, कि वह किस की पत्नी होगी ?' तब महाराजा विक्रमने कहा, 'यहाँ पर यह बात जानता हो और फिर भी नहीं बोलेगा, उसे सात गाव के जलाने की हत्या का पाप लगेगा.' .. यह सुन कर हत्या के भय से शय्या में रही हुई उस सुरसुंदरीने कहा, 'जिस के धड़ पर पति का मस्तक वही 'उस का पति होगा. क्यों कि शरीर में मस्तक की ही प्रधानता है.' इस प्रकार बुद्धिद्वारा विक्रमदित्य महाराजाने सुरसुंदरी का तीसरी बार बुलाया. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust