________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित HEATREORA Dain बहाने से भीम रथ की डोरी अपने मित्र को सौंप कर देवी के मन्दिर में गया. और उसने अपने शिर को छेद कर देवी KAS की पूजा की. सामने मित्र के बहुत देर होने परभी न आनेके कारण रस्सी पत्नी के हाथों में दी, और देवी के मन्दिर में गया. वहां nanm dision मित्र का शिर कटा (भी देवी के मन्दिर जा रहा है. ) हुआ देख कर उसने चित्र न. 50 भी अपना शिर काट डाला. दोनों के न आने से थोडी देर राह देख कर सेम की पत्नी भी वहां गई. वहां देवी के आगे पति और देवर के शिरों को कटे हुए देख कर वह चकित और आहत हुई,. 'यह क्या और कैसे हुआ ? ' सेम की पत्नीने विचार किया ' ' मरे हुए पति को छोड कर मै ससुराल जाउंगी तो लोग कहेंगे कि पति और देवर को मार कर यह आई है, और पीहर जाउंगी तो भी लोग यही निन्दा करेंगे. अतः पति की तरह मेरी भी मृत्यु देवी के सामने ही हो यही अच्छा है.' . इस प्रकार विचार कर उसने पास ही पड़ी हुई छरी ली, और अपने गले में मारने लगी, इतने में देवी प्रगट होकर बोली, 'हे स्त्री ! तुम साहस न करो.' देवी का वचन सुन कर बोली, 'तो तुम अपने दोनों सेवकों को जीवित करदों.' P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust