________________ विक्रम चरित्र के साथ सहवास लंबे समय के लिये है। तो ये तीनों शोभा नहीं देते.' . इस तरह सेोमने बहुत दिन तक मन ही मन दुःखी हो कर, अपने प्यारे मित्र भीम से कहा, 'मेरी पत्नी पीहर से मेरे घर नहीं आती है, अब मैं क्या करूं? कहा है कि मित्र 'परम विश्वास का एवं सलाह का स्थान है. लेना देना पूछना, गुप्त बताना भेद; . खाना पीना परस्पर, मैत्री के है छः भेद. भीमने सोम से कहा, 'एक बार और चलो, में साथ ‘आकर भौजाई-भाभी को समझाने का प्रयास करं नहीं तो और कोई उपाय करेंगे.'-अतः भीम स्वयं एक बार अपने मित्र की '' पत्नी को लाने के लिये सोम के साथ चला. रास्ते में भट्टारीका देवी का मन्दिर आया. भीम देवी को प्रणाम करने का बहाना करके मित्र सेाम को रथमें ही छोडकर मन्दिर में गया, नमस्कार कर देवी से इस प्रकार कहा, 'हे देवी! यदि मेरे बचनसे मेरे मित्र की पत्नी मित्र के घर आ जायगी, तो अपना शिर दे कर तेरी पूजा करूंगा.' जब वे दोनों वहां गये तो उस की-सोम की पत्नी हर्षित हुई, और भीम के समझाने से उसने सोम के घर आना स्वीकार किया. सोम और भीम दोनों मित्र उसे लेकर -लौटे. और दोनों खुशी से अपने नगर के प्रति शीघ्र रवाना हुए, रास्ते में देवीका मन्दिर आने पर देवी को नमस्कार करने के Jun Gun Aaradhak Trust