________________ / साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित भी जो नहीं बोलेगा उसे सात गावों के जलने से होनेवाली हत्या का पाप लगेगा.' हत्या के भय से शय्या में स्थित वह सुरसुंदरी बोली, - 'जिसने पुतली का निर्माण किया वह उस कन्या का पिता हुआ, जिसने उसे कपडे आदि पहनाये वह मामा हुआ, और जिसने उसे जीवित किया वह उस का गुरु हुआ, अतः जिसने उसे आभूषण पहनाये वह उसका पति होगा.' इस प्रकार दूसरी बार सुरसुंदरी के बोलने पर महाराजाने फिर उस अग्निवैताल को, भद्रासन-सिंहासन में अधिष्ठित किया और कहा, 'हे भद्रासन ! मैं कथा कहता हूँ, तुम मुझे उत्तर-होंकारा दोगे?' सिंहासनने उत्तर दिया, 'बोलने तो नहीं जानता हूँ, किन्तु मैं तुम्हारी बात में हाकारा करुंगा.' तब महाराजाने सुरसुंदरी के सुनते हुए तीसरी कथा कही- . . दो मित्र की कथाः 'प्राचीन काल में विक्रमपुर नगर में सोम और भीम नामके दो मित्र थे, उस सोम का विवाह ध्वरापुर में हुआ था, अपनी प्रिया को ससुराल से लाने के लिये सोम कई बार ध्वरापुर गया, लेकिन वह भोली-मुग्ध बुद्धिवाली स्त्री पीहर से घर नहीं आती थी. सच कहा है कि-'स्त्री को पीहर में,, पुरुष को ससुराल में, और संयमी-चारित्रधारी को गृहस्थी लोग P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust