________________ महार विक्रम चरित्र - वह कन्या किसे वरण करेगी ?' दीपक बोला, 'यह तो मैं नहीं जानता.' तब महाराजाने कहा, 'जो इस बात का उत्तर जानते हुए भी नहीं देगा. उसे सात गांव के जलाने का पाप लगेगा.' हत्याजनित पाप के भय से शय्या पर स्थित वह राजकुमारी सुरसुंदरी शीघ्र ही इस प्रकार बोली, 'तीर्थ में अस्थि डालनेवाला पुत्र हुआ, जीवित करनेवाला पिता बना, जो साथ में उत्पन्न हुआ वह भाई बना, अतः पिंड देनेवाला ही उस का पति बनेगा.' इस प्रकार महाराजा विक्रमने उस राजकन्या को एकबार बुलाया. फिर महाराजाने अग्निवैताल को घोडे में स्थापन होने के लिये कहा, और फिर पूछा, 'हे घोडे ! अब तुम मुझे उत्तर दोगे?' घोडा बोला, 'मैं तुम्हारी बातों का जवाब दूंगा.' तब सुरसुंदरी के सुनते हुए महाराजाने दूसरी कथा शुरू की. घोडे में रहा हुआ अग्निवैताल होकारा देने लगा. चार मित्रों की कथा शंख नामक नगर में सुथार, दोशीबनिया, सेानी और ब्राह्मण ये चार मित्र रहते थे. वे चारों परदेश जाने के लिये अपने नगर से रवाना हुए. चलते चलते वे एक अटवी में आ पहुंचे. सूर्यास्त हो जाने के कारण वहीं एक वृक्ष के नीचे रात्रि व्यतीत करने का उन सबने निश्चय किया. 'वन में जागते हुए व्यक्ति को कोई भय नहीं होता.' यह सोच कर वे चारों P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. . Jun Gun Aaradhak Trust