________________ 598 विक्रम चरित्र अग्निवैताल तथा भट्टमात्र दूर दूर तक सब जगह घूमते घूमते तिलंग देश पहूँचे. उस देश के मुकुट समान सुंदर श्रीपुर नामक नगर में सात महिने के बाद पहुंचे. उस नगर में भीम नामक बलवान् और न्यायी राजा था. उस की पद्मा नामक रानी और सुरसुंदरी नामक पुत्री थी. वह सुंदरी सर्वकलारूपी समुद्र की पारगामिनी, चतुर, शील से शोभित, सुंदर बुद्धिवाली, और रूप द्वारा देवांगनाओं को भी जीतनेवाली थी. उस स्वर्गसमान सुदर नगर में स्थान स्थान पर घूमते हुए तोरण पर बैठे हुए. तोते के जोडे को उन्होंने देखा, उस समय तोतेने अपनी पत्नी -शुको से कहा, "हे प्रिये ! अवन्ती में मैंने इस नगरी का Sectoral CHEHEME RED KISGAZIES राजसभा में तोरण पर शुक और शुकी बैठी है. चित्र न. 45 वर्णन किया था, वही यह नगरी देव विमान से भी अति सुदर है, देखो.” P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust