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________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित विक्रमचरित्रने अपने स्वर्गीय पिता के जीवन प्रसंग सुनाने के लिये कहा, तब प्रथम चामरधारिणी इस प्रकार बोली, " एक बार महाराजा विक्रमादित्य सभा में बैठे थे. इतने HEN Kams Whe CareerCDTAAHA P mov OSCAFTEKC दोपहर MAN X HER KAN 4.LLYUT THEHEATHER HER 6.REPARA FORCE Air विक्रमचरित्र के ललाट में फूफी-भूआ तिलक कर रही है. चित्र न. 41 में एक शुकयुगल आकर सभामंडप के तोरण पर बैठा, तब शुकीने कहा, "हे स्वामी! यह नगरी बहुत ही सुंदर है." तब वह तोता बोला, “हे प्रिये ! हम जिस नगर में जा रहे है, वहां एक विधवा का घर भी इस राजसभा से अच्छा है." यह कह कर तोते की जोडी यहां से उड़ गई. महाराजा यह वचन सुन कर उस नगर को देखने के लिये बहुत उत्सुक हुए. और अपने मंत्री भट्टमात्र तथा अग्निवैताल के सामने इस प्रकार वोले, "तुम दोनों तोते से कहे हुए नगर का पता लगा कर मुझे कहो." राजा की आज्ञा पा कर P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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