________________ श्री शेरीसा पार्श्वनाथाय नमोनमः पैसठवां--प्रकरण : ( बारहवा-स्वर्ग का आरंभ) जिस का कारज जो करे, दूसरे से नव होय; दीपक प्रगटे कोड दश, रवि चिण रात न जाय, श्री विक्रमचरित्र का राज्यतिलक ___ महाराजा विक्रमादित्य की मृत्यु के बाद जब मत्रियोंने पाटवी राजकुमार बिक्रमचरित्र को सिंहासन पर बैठाना चाहा, तो सिंहासन की पुतलिया एकाएक इस प्रकार बोली "हे विक्रमचरित्र, आप इस सिंहासन पर नहीं बैठ सकते, क्यों कि विक्रमादित्य महाराजा के समान प्रथम योग्यता प्राप्त किजिये." पुतलियों का यह वचन सुन कर मत्रीगण आपस में इस प्रकार कहने लगे, “यह वचन सिंहासन की अधिष्ठायिकाः P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust