________________ 59 MANUNVENDEVEJASSENDENSO मानव ! मानवता छोड नहीं (ले. पं. प्रकाशचन्द्रजी कविरत्न ) . भानव! मानवता छोड नहीं ! ! रवि की किरणों भूपर आती, तेरे पद- रजको छू जाती; हे मानव! तू जग में महान. देवोंकी भी कर होड नहीं, मानव ! मानवता छोड़ नहीं. विज्ञान मुक्ति का कारण है, क्यों ! वेलि कपट विषकी बोई; यदि श्रद्धा का अधु-मिश्रण है, बैरी न यहां तेरा कोई, तू बुद्धिवाद के पाहनसे से, जिस में तेरी छवि अंकित हैं. सहृदयताका घट फाड नहीं, तू उस दर्पण को तोड़ नहीं मानव ! मानवता छोड नहीं. मानव ! मानवता छाड नहीं! " (हिन्दी कल्याण-मानवता अंक में से साभार उद्धरीत,) 2 DRVEDGEVENS VENDEVE SEVENS SVE NAVIGNONVENDEVE NE NOVEDADEVE MESSAGEASONO NOVASGEN P.P. Ac. Gynratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust