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________________ 586 विक्रम चरित्र जलते हुए घर को बचाने के लिये आग बुझाते हुए देख कर उस जुगारीने अपनी तलवार म्यान में डाल दी. तब उस स्त्रीने अपने पति को उच्च स्वर से कहा, " यदि ये महापुरुष यहां न होते, तो आज सारा ही घर जल जाता." रूपे देवकुमार सम देखत मोहे नरनार. ___ सोही नर खिण एक मां बल जल होवे छार. ... उस का ऐसा मायामय स्त्री चरित्र जान कर महाराजाने अपने नगर के प्रति चल दिया. अपने नगर में आ कर उस पंडित को जेल से बाहर निकलवा कर उस का सन्मान किया, और उसे कोषाध्यक्ष के पास एक करोड सोनामहार दिलवाई. विक्रमादित्य उस काव्यका स्मरण करते हुए लोगों को दान देते हुए अपना समय बिताने लगे. महाराजा विक्रम का स्वर्गगमन आता है जब काल का झोंका, प्राण-तैल तब देता धोका; सकता नहीं किसी का रोका, बार बार मिले न मौका.. ___ प्रतिष्ठानपुर नगर में शालिवाहन नामक बलवान राजा था. उस के पास सुंदर हाथी, बलवान् घोडे आदि विशाल संख्या में थे. उस के पास शूद्रक नाम का खूब बलवान सेवक था, जो बावम हाथ की शिला को उठा सकता था. उस राजा के पास और भी अन्य उपचास-४९ बलवान् शूरवीर सेवक थे. P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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