________________ 578 विक्रम चरित्र AAA . डालूंगा.' माल ने तीन वर्ष निकाले: आखिर एक दिन वह चांडिकादेवी के ___ मदिर में आ पहुँचा. वहां वह एक बडा पथ्थर लेकर बार बार उस प्रकार कहने लगा, 'हे देवी! तू मुझे धन दे, नहीं तो मैं इस / पथ्थर से तेरी मूर्ति . के टुकडे टुकडे कर / * डालूगा.' dren इस से डर कर ( देवी और केशव ब्राह्मण. चित्र न. 41) वह वा उस प्रत्यक्ष होकर कहने लगी, 'तेरे भाग्य में कुछ नहीं है, यदि तुझे धन दिया भी जाय तो उस में से तेरे हाथ में कुछ नहीं रहेगा.' फिर भी वह बोला, 'मैं तुमसे यह बातें सुनना नहीं चाहता हुँ. तुम मुझे धन दो वरना मैं तुम्हारी मूर्ति के दो टुकडे कर डालूंगा.' तब डर कर उस देवींने करोड रूपये का मूल्यवान एक रत्न उसे दिया. वह भी उसे प्राप्त कर खुश होता हुआ समुद्र / मार्ग से घर जाने के लिये जहाज में बैठ कर रवाना हुआ. पुनम की रात में चंद्रमा की कांति देख उस तेजस्वी मणि को हाथ में ले कर वह ब्राह्मण कहने लगा, 'इस माणिक्य और चंद्रमा दोनो में से कौन अधिक तेजस्वी है ?' इस . P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust