________________ विक्रम चरित्र सुन कर लक्षमति बोला, “हे स्वामिन् ! आप को कदाचित् निंद आयगी, पहले से ही आपके कई विरोधी शत्रु है, यहां से दूर जाने का मेरा मन नहीं होता." राजाने कहा, “तुम शीघ्र ही जाओ, में शांतचित्त से अभी जागता रहूँगा, तुम मेरे आदेश का पालन कर के शीघ्र ही वापस आओ. जागते हुए मनुष्य को किसी का भय नहीं होता. जसे रणांगण में खड्गबद्ध तैयार राजा को किसी का भय नहीं होता है." राजा की यह बात सुन कर लक्षमति को लगा, 'महाराजा को अवश्य ही कुछ बुद्धिभ्रम हुआ है. अर्थात् कुछने कुछ शंका हुई है. नहीं तो ऐसी बातें वे नहीं कहते.' अतः वह बोला, "हे स्वामी ! थोडी देर देखिये, मैं आपकी आज्ञा का पालन करूंगा, लेकिन पहले मैं एक कहानी कहना चाहता हूँ, वह आप ध्यान से सुनिये. श्रेष्टी पुत्र सुंदर की कथा लक्ष्मीपुर नामक नगर में एक भीम नामक सेठ था. उस के रूप, लावण्य सौभाग्य तथा विनय आदि गुणों से युक्त एक सुंदर नामक पुत्र था. आंगन में खेलते हुए, घुटनों पर चलनेवाले अपने पुत्र को देख कर मातापिता और स्वजनों को महान् आनंद होता है. क्रमशः बडा होनेपर पिताने पुत्र को पंडितों के पास पढाया, और वह भी धर्म कर्म आदि P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust