________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित 565 कहा, "मैं पानी भरने जाती हुँ, तुम इस बालक की रक्षा करना." ऐसा कह कर ब्राह्मणी पानी भरने के लिये गई, इसी वीच उस घर में एक काला सांप निकल आया. सर्प को देख कर नकुल उस के पास गया, और युद्ध करके उसे मार गिराया. उस सांप के टुकडे टुकडे कर के हर्षित होता हुआ वह नकुल खून से रंगे मुख यह समाचार प्रगट करने के लिये उस ब्राह्मणी के सामने दरवाजे पर गया. पाणी लेकर आती हुई, उसे इस हालत में देख कर ब्राह्मणीने समझा, 'निश्चय ही इसने मेरे पुत्र को मार डाला है.' ऐसा सोचकर ब्राह्मणीने क्रोध में उस नकुल को मार डाला. घर में आकर उसने अपने पुत्र को झुले में खेलता हुआ सुरक्षित देखा. और सर्प की दुर्दशा देख कर सारा मामला समझ गई. नोवले के प्रताप से ही अपना बालक बच गया था. बाद में उसे पश्चाताप हुआ. _ अतः हे स्वामी ! इस प्रकार पूर्ण विचार किये विना कोई भी काम करने से पश्चाताप करना पड़ता है, अतः अभी कुछ समय आप धैर्य धरे.” सहस्रमति की बात सुन कर महाराजाने सोचा, " यह मेरी आज्ञा का पालन किये बिना आया है, इस लिये यह भी शतमति के जैसा ही है." द्वितीय प्रहर के बीत जाने पर महाराजाने उसे विदा किया लक्षमति नामक अंगरक्षक के पहरे पर आने पर उसे बुलाकर वही (शतमति को मारने का) कार्य सोपा, महाराजा की आज्ञा P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust