________________ विक्रम चरित्र "तुम्हारे यहां गीत नृत्यादि का बडा उत्सव हो रहा था, उसे देखने के लिये मैं आया था, क्यों कि तापस भोजन से, मोर बादल की गर्जना से, साधु लोग दूसरे की सम्पति से और दुष्टजन दूसरे की विपत्ति में खुश होता है." तब शतमतिने पान आदि देकर उस का सम्मान किया. सहस्रमति शीघ ही राजा की रक्षा के लिये पुनः स्वस्थान पर लौट आया. राजाने उस से पूछा, “तुमने मेरी आज्ञा का पालन किया ?" सहस्रमति मौन धारण कर खडा रहा. राजाने उसे चुपचाप खडा देख कर कहा, " तूं भी मेरे लिये शतमति की तरह हो गया है." तब राजा को शांत करने के लिये सहस्त्रमतिने कहा, "हे राजन् ! कोई भी काम विना विचार किये नहीं करना चाहिये. बिना विचारे किये गये कार्य से ब्राह्मणी की तरह बाद में पञ्चाताप करना पडता है. जैसे कि ब्राहमणी और नोवले की कथा - श्रीपुर नामक एक नगर में कृष्ण नामक एक ब्राह्मण रहता था. उस के घर के पास ही एक समय नकुलीने एक बच्चे को जन्म दिया. उस ब्राह्मण की रूपवती नामक भार्या थी. वह उस नकुल के बच्चे का पुत्रवत् पालन करने लगी, कुछ समय पश्चात् उस ब्राह्मणी ने सुंदर स्वरूपवात् पुत्र का जन्म दिया जिस का नाम चंद्र रखा. एक दिन वह ब्राह्मणी अपने छोटे बालक को घर में .. छोड कर पानी भरने जा रही थी, तब ब्राह्मणीने नकुन्न को Jun Gun Aaradhak Trust