________________ विक्रम चरित्र संबंध की सारी कथा आदि से अन्त तक कह सुनाई. जिसे सुन कर राजा बहुत खुश हुआ. श्रीद सेठ के पास से पूर्व कथित धन लेकर राजाने विक्रमादित्य को दिया. विक्रमराजा ने भी दानेश्वरी कर्ण की तरह वह धन तुरंत वहीं गरीबों को बांट दिया.. स्त्रीराज्य में गमन रूप देवकुमार सम, देखत मोहे नर नार; सोही नर खिण एकमें, बल जल होवे छार. एकदा महाराजा विक्रमादित्य पृथ्वी का भ्रमण करते करते बहुत दूर स्त्रीराज्य में पहुंचे. वहां बहुत ही सुन्दर सुन्दर स्त्रियां थी. प्रेमासक्त रति की तरह कांतिवाली शंखिनी व पद्मिनी जाति की कई सुंदर स्त्रियां अपने हावभावादि चेष्टाओं के द्वारा पुरुषों को मोहित करती थी. कहा है कि एक नूर आदमी, हजार नूर कपडां; लाख नूर टापटीप, कोड नूर नखशं. ' महाराजा विक्रम को मनोहर स्वरूपवान देख कर कई निया उन से भोग-विलास के लिये प्रार्थना करने लगी. 4 तब महाराजा X क्यों कि नारीया के लिये कवियोंने कहा है, . " उगाडो दीप रहे, पतंग जिम जपलाय, तेम लीना नेत्रमा मुरल जन भरमाय. 1 वादलना गर्जन थकी, श्वान हडकायु थाय, तम P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust