________________ विक्रम चरित्र दूसरे प्रहर में राजा वहां से कुछ दूर जंगल में गये, और शव को पास में रख कर सुख से सो गये. तब कोई राक्षस आया और उस मुर्दै तथा राजा विक्रम दोनो को उठा कर वहां से किसी दूसरे जंगल में ले गया. वहां धधकती हुई आग पर एक बडी कडाही रखी थी, उस में कई राक्षस बहुत से लोगों को दूरसे ला लाकर डाल रहे थे. वे लोग राजा विक्रम को उस में डालने को तैयार हुए कि, एकदम राजा विक्रम उठ खडे हुए, और उन्हे मारने लगे. राजाने उन को दड-लकडी और मुष्ठि के प्रहारों से ऐसा मारा कि वे राजा के पास आकर कहने लगे, "हम आप के दास है." तब राजाने उस को जीवदयामय 'अहिंसा परमोधर्म समझाया और उन्हे अहिंसक बनाये. रात्रि के तीसरे प्रहर में राजा एक वावडी के पास गये और वहां ठहरे. इतने की रोने की आवाज़ सुनी, दूर से आती हुई आवाज को सुन कर HARE राजा वहां गये, और DEHS. उस से रेराने का कारण ( राक्षस कहते है. हम आपके दास हैं) पूछा, वह बाला, राजा भीम की पत्नी हुँ, चित्र नं. 37 P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust