________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय सयोजित *553 कारण पूछा, तब उस स्त्रीने कहा, " राजा के नौकरोने आज मेरे पति को अपराध बिना ही शली पर चढा दिया है. वह अभी जिन्दा है और में उसके लिये भोजन लाई हूँ, लेकिन शली बहुत ऊँची होने से मैं पहूँच नहीं सकती; इस लिये मैं रो रही हूँ.” .. तब विक्रम राजाने से अपने कंधे पर चड कर उसे भोजन देने को कहा, जिस से स्वस्थ होने पर उस का पति मर कर वर्ग में जायें. राजा के कंधे पर चढ कर वह स्त्री खडी हो गई. और छुरी से अपने पति के शरीर में से मांस काट काट कर खाने लगी, ऐसा करने से राजा के शरीर पर रक्त की बूंदे गिरने लगी, राजाने उसे पानी की बूदे समझा जाताना और मन में विचारने लगे, *अभी बरसात कहां से आया ?? लेकिन तुरंत ही उपर देख राजा सारी स्थिति समझ गय और यह डाकिनी है, ऐसा जान कर बडे जोर से उसे ललकारा. इस से राजा को छलना असंभव जान कर तुरंत ही वह डाकिनी वहां से अदृश्य हो गई. (राजाने उसे कधे पर चडाई चित्र नं. 36) . P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust