SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 636
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित 389 HE T-ChavthaNPANI INHA that 6 Mal Rel AL परमाTMERIALA R राजा बंदरों का झुंड को स्नान करते देख रहे है. चित्र वं. 31 फूलों से श्री जिनेश्वरदेव की पूजा की, तथा सुंदर स्तोत्रों से प्रभु की स्तुति कर के और अह त प्रभु का ध्यान धर, वारंवार नमस्कार कर के उन्होंने पाप समूह को नष्ठ कर बहुत बडा पुण्य उपार्जन किया, कहा है कि जिसने एक भी पुष्प बहुमान पूर्वक प्रभु को चढाया है, उस मनुष्य को चिरकाल के लिये शिवसुख का फल हस्तगत होता है. जब वे मनुष्य गरम जल के कुंड में नहाये इस से वे. क्षणभर में पुनः बन्दर बन गये और श्री जिनेश्वरदेव को नमस्कार कर के अपने स्थान पर गये. यह देख कर महाराजा को मन में आश्चर्य हुआ. फिर स्वयं उन्हों ने भी ठडे जल के कुंड में. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy