________________ 542 विक्रम चरित्र कारण से किसने तुम्हे इस प्रकार कर दिया ?' उस के जवाब में रमाने कहा, 'मेरे पतिने मुझे जला कर मेरी भस्म को यहां रखा हैं, और वह दीपावली के दिन यात्रा के लिये गया है, छ महिने बाद वह आयगा. अतः उस के आने तक तुम मेरे साथ पति की तरह रहो.' तब वह ग्वाला उस के साथ आनंदपूर्वक रहने लगा, और वह उस से अपना घर का काम करवाता रहा. - समय बीतने लगा, रमाने एक बार उस ग्वाल से पूछा, 'दिवाली के बाद कितना समय बीता है ? " तब उसने समय जान कर कहा, 'अब एक दो दिन शेष है.' तब रमाने कहा, 'अब मेरा पति आयगा. अतः मेरी भस्म करके पूर्ववत् इस वृक्ष के कोटर के भाग में रख दो, और तुम अपने स्थान को जाओ; लेकिन मेरी प्रीति को मत भूलना.' तब उस के कथनानुसार उस की भस्म बना कर पोटली में बांध कर पूर्ववत् उस कोटर में रख दी, और अपने हृदय में उस के चरित्र को याद करता हुआ वह थोडे दूर जंगल में गया, और वहां अपने बकरों को चराने लगा. उधर छाहड अपनी यात्रा से लौटा. वह उस वृक्ष के नीचे आया और भस्म को __नीचे उतार कर अपने अमृत से उसे पुनः जीवित बना दिया. उस समय रमा के वस्त्र से बकरी आदि के शरीर से निकलन वाली गंध आ रही थी, यह जान कर उस छाहडने सांचा, 'क्या यह स्त्री किसी ग्वाले द्वारा भोगी गई है?' इतना सोच कर वह जंगल में इधर उधर देखने लगा, और म P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust