________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित 539 यहां ठहरा हूँ. स्त्री के बिना स्त्री का यह दर्द कौन शांत कर सकता है.' तब छाहडने अपनी पत्नी से कहा, 'तू इसकी पत्नी के पास जा, और शांति का उपाय कर.' यह सुन कर रमाने कहा, 'रास्ते में रुकना हम लोगों के लिये अच्छा नहीं है.' तब छाहड बोला, 'हे प्रिये ! क्या रास्ते में दर्द से पीडित स्त्री को छोड़ कर अपने घर जाना हमें शोभा दे सकता हैं ?' . . पति के कहने से रथ से उतर कर रमा उस ऊंचे तंबू के भीतर उस कपट स्त्री (अपने प्रिय) के पास गई, वहां उसे भोग विलासपूर्वक प्रसन्न कर उसकी E -E Mmhd 2015. ST स म पूर्वोक्त आशा पूरी अपनी कांचली है SUITME करके शीघ्रता में CRICA CENSE * उलटी ही पहन कर रमा जल्दि से अपने . रथ में अपने पति (रमा तंबु में जा रही है. चित्र न. 31.) की बांयी तरफ आकर बैठ गई. - उस की कांचली उलट देख कर छाहड बोला, 'तेरी ... कंचुकी उलटी कैसे हो गई है ? और तेरी साडी मलिन क्यों हुई ? और तेरा शरीर ऐसा क्यों हो गया ?' पति के प्रश्न को सुन कर रमाने कहा, 'मैंने कचुकी खोले बिना ही पहनी थी और साडी में सल पहले से ही पडे P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust